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इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद नहीं मिली नौकरी , तो शुरू किया यह बिजनेस अब कमाते हैं 12 से 13 लाख का मुनाफा

Ashutosh Dixit dairy farmer success story in Hindi
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आज हम बात करने वाले हैं आशुतोष दीक्षित के बारे में जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि आशुतोष दीक्षित मूल रूप से उत्तर प्रदेश के इटावा जनपद के बीहड़ी आसई गांव के रहने वाले हैं , आशुतोष ने कानपुर के जाने-माने इंजीनियरिंग कॉलेज पीएसआईटी  ( PSIT Kanpur ) से वर्ष 2017 में सिविल इंजीनियरिंग कोर्स के दौरान बीटेक की पढ़ाई पूरी की थी ।

आशुतोष दीक्षित इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद नौकरी की तलाश की लगभग 1 वर्षों तक वह नौकरी के लिए भटकते रहे परंतु फिर भी उन्हें नौकरी हासिल नहीं हुई ।

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जैसे जैसे भारत की स्थितियां बेहतर हो रही है वैसे वैसे भारत में बेरोजगारी की बड़ी समस्या काफी उभर कर सामने आ रही है । हमारे भारत देश में कई ऐसे युवा हैं जिन्हें उनकी योग्यता के अनुसार नौकरी नहीं मिल पाती है हालांकि कई लोग ऐसे भी हैं जो अपनी योग्यता के बल पर नए बिजनेस की जड़ों को खड़ा करते हैं और उससे काफी अधिक मुनाफा कमाते हैं ।

आशुतोष दीक्षित भी कुछ इस तरह के युवाओं में से एक है, उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा के बाद नौकरी ढूंढने की काफी प्रयास की परंतु उन्हें नौकरी नहीं हासिल हुई इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और अपने गांव वापस आकर पशुपालन व्यवसाय की शुरुआत कर दी ।

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आशुतोष ने गांव में पशुपालन व्यवसाय की शुरुआत करने के लिए राजस्थान के बीकानेर से चार साहीवाल गाय को लोन लेकर खरीद कर लाए थे , परंतु आज देखते ही देखते समय बीत गया और आशुतोष दीक्षित ने अपने पशुपालन व्यवसाय के द्वारा अब 70 गायों की गौशाला तैयार कर दी है ।

आशुतोष अपने इस पशुपालन के व्यवसाय के दौरान 70 गायों की गौशाला को तैयार कर ही चुके हैं इसके साथ ही शहरों में सैकड़ों किलो लीटर दूध का उत्पादन करते हैं और कांच की बोतलों में इसे भरकर कई शहरों में निर्यात करते हैं और इससे काफी अच्छा मुनाफा अर्जित कर पाते हैं।

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि आशुतोष दिक्षित , बीहड़ी आसई गांव के जंगलों के आसपास बसे हुए हैं इस दौरान उन्हें अपने पशुपालन में किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं होती है क्योंकि जंगलों में आसानी से पशुओं के लिए चारा मिल जाता है ।

इसके साथ ही साथ आशुतोष बातचीत के दौरान बताते हैं कि उनके इलाके की देसी गाय के घी की काफी कम कीमत है वह बाहरी शहरों में 3 अधिक गुना दाम में इसे बेचते हैं अर्थात आशुतोष गाय के गोबर और लकड़ी से खाद तैयार करके कई किसानों को निर्यात भी करते हैं ।

इसके साथ ही साथ आशुतोष कहते हैं कि वह जब अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे उस वक्त उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह इस प्रकार का व्यवसाय करेंगे उन्होंने अपनी पढ़ाई के दौरान एक अच्छी नौकरी के ख्वाब देखे थे परंतु वह सफल नहीं हो पाए परंतु उन्होंने कभी भी अग्रसर होने का प्रयास नहीं छोड़ा और हिम्मत नहीं हारी लगातार आगे बढ़ने की सोच रखी ।

यही कारण है कि आज आशुतोष इतने पढ़े लिखे होने के बावजूद भी नौकरी ना मिलने के कारण पशुपालन का व्यवसाय करते हैं और महीने का एक से दो लाख और सलाना 12 से 13 लाख का मुनाफा अर्जित कर लेते हैं ।

आशुतोष का कहना है कि भारत में कई ऐसे युवा हैं जो अपनी योग्यता के बल पर नौकरी नहीं प्राप्त कर पाते हैं और हार मान बैठते हैं परंतु इस दौरान आशुतोष का कहना है कि जब आपको आपकी योग्यता के अनुसार सफलता न हासिल हो तो मन में यह बात निश्चय कर लें कि आपके लिए आपकी सोच से भी बेहतर ईश्वर द्वारा सोचा जा चुका है इसलिए लगातार प्रयास करते रहे आपको सफलता अवश्य हासिल होगी ।

 

लेखिका : अमरजीत कौर

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