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MBA करने के बाद भी विदेश में की नौकरी परंतु अब गांव में वापस लौटकर गन्ना की खेती करने वाले किसानों की कर रहे हैं मदद

Harjeet Singh Pilibhit sugarcane seed producer
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आज हम आपको हरजीत सिंह के बारे में बताने वाले हैं, हरजीत सिंह सन् 2008 में एमबीए की पढ़ाई करने के लिए आयरलैंड गए थे, आयरलैंड में एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद हरजीत सिंह को वहीं पर एक अच्छी सैलरी वाली नौकरी मिल गई।

हरजीत सिंह को विदेश में ही अच्छी लाइफ स्टाइल अच्छा पैकेज मिल गया था इसके बाद वहीं पर काम करने लगे परंतु वर्ष 2016 में वह अपनी नौकरी छोड़कर अपने गांव अपने भाई के पास वापस आ गए ।

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यूपी के पीलीभीत में रहने वाला एक किसान  गन्ने को मशीन से काटकर  के बीजों को तैयार करता है , इस किसान का नाम हरजीत सिंह है और उनकी इन बीजों की डिमांड काफी अधिक है।

हरजीत सिंह के इन बीजों की डिमांड  इतनी अधिक है कि उन्होंने गांव में ही एक ऑफिस खोल कर बाजार में इसकी बिक्री करते हैं, अधिक से अधिक खरीदार किसान यहां आकर अपने सामने बीजों को कटवा कर लेकर जाते हैं इस दौरान  खेती के नुकसान से परेशान तराई के किसानों को एक नई तकनीक मिल गई है ।

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बातचीत के दौरान हरजीत सिंह बताते हैं कि जब वह आयरलैंड से अपने भाई के गांव में वापस आए थे तो उन्होंने मार्केटिंग की डिग्री होने के कारण इसके साथ ही साथ अपने भाई के साथ खेती के कई अनुभव को लेने के बाद उन्होंने खेती में कुछ नया करने का ठान लिया ।

इतना ही नहीं हर प्रकार से कृषि के क्षेत्र में कुछ नया करने के लिए सोशल मीडिया पर तलाशना शुरू कर दिया और इसके लिए उनके परिवार ने उनका पूरा तरह से साथ दिया ।

इस प्रकार वैज्ञानिक तरीके से गन्ने का बीज होता है तैयार

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि हरजीत ने वर्ष 2016 में मशीन द्वारा गन्ने के बीज तैयार करना शुरू किया और इसका पहला उपयोग करने के लिए उन्होंने छोटे स्तर पर अपने खेतों में इन बीजों का इस्तेमाल किया और वह सफल हो गए और आज वह 10 एकड़ भूमि में इन बीजों को तैयार करते हैं ।

हरजीत बताते हैं कि किसान गन्ने की खेती करने के लिए गन्ने के दो टुकड़े करके उन्हें बोते हैं जिस प्रकार से गन्ने का बहुत सारा हिस्सा खराब हो जाता है गन्ने में जो गाठ लगी होती है उसी से गन्ने के बीजों को तैयार किया जाता है इस दौरान हमने उसी गांठ को छोटे टुकड़ों में काटकर गन्ने का भी तैयार कर दिया है ।

इस दौरान इन छोटे-छोटे गन्ने के टुकड़ों के बीज को खेतों में बोना आसान होता है और फसल भी 80% अधिक होती है इतना ही नहीं लागत तो कम लगती ही है और पैदावार भी अच्छी होती है और गन्ना मोटा और लंबा निकलता है ।

इस प्रकार  ट्रे  द्वारा भी गन्ने का पौधा तैयार करना

हरजीत गन्ने की खेती के लिए और भी अधिक कई तकनीकों को इस्तेमाल कर रहे हैं वह बताते हैं कि वह   ट्रे तकनीक का उपयोग कर रहे हैं इस दौरान गन्ने के पौधे को गन्ने के खेत में लगा दो और सीधा गन्ना तैयार जिस प्रकार धान की खेती की रोपाई की जाती है ।

मार्केटिंग में आई एमबीए की डिग्री अधिक काम

हरजीत ना सिर्फ अलग-अलग तकनीकों से गन्ने के बीज तैयार करते हैं बल्कि उनकी मार्केटिंग भी खुद करते हैं साथ ही साथ सोशल मीडिया पर गन्ने के बीजों के बारे में बातचीत करना और किसान के समूह को संगठित करके उन्हें गन्ने की खेती की जानकारी देना है यह सब हरजीत मुख्य रूप से करते हैं ।

खुला बाजार बनाकर करते हैं गन्ने की बीजों का बाजार

हरजीत ने गन्ने और नए-नए तरीकों प्रसार और प्रचार करके गांव में ही एक खुला बाजार तैयार किया है , इस व्यापार से 2 दर्जन से अधिक परिवार इनके साथ जुड़ चुके हैं , इसके साथ ही साथ दूरदराज से किसान इनके खेतों में बीज खरीदने के लिए आते हैं। इतना ही नहीं कई किसान यहां आकर इन के खेतों में घूमकर  गन्ने की अलग-अलग प्रजातियों के बारे में जानते हैं।

ऊपज है ज्यादा लागत है कम

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि अजीत जिस तकनीक से गन्ने के बीज तैयार करते हैं उसे एसटीपी तकनीक कहा जाता है , इस बीज की लागत कम आती है और मुनाफा काफी अधिक होता है , उदाहरण के तौर पर आपको बता दें कि सामान्य तौर पर 30 से 40 क्विंटल बीजों को बोया जाता है और 20000 क्विंटल तक पैदावार होती है ।

 

लेखिका : अमरजीत कौर

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