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Farmer Ramesh Ruparelia success story in Hindi

कभी 80 रुपए में करते थे मजदूरी , आज खेती का बेहतरीन मॉडल तैयार करके 123 देशों में भेज रहे हैं अपने प्रोडक्ट्स

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आज हम बात करने वाले हैं गुजरात के गोंडल के रहने वाले एक प्रगतिशील किसान रमेश रूपरेलिया की , रमेश रूपरेलिया ने 38 वर्ष की आयु में कंप्यूटर चलाना सीखा और इसके साथ ही घी और अन्य प्रोडक्ट तैयार करके देश विदेश में निर्यात कर रहे हैं ।

बचपन में दी गई शिक्षा हमारे भविष्य के व्यक्तित्व का विकास करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। रमेश रूपरेलिया  बचपन से ही संगीत के काफी शौकीन थे और यही कारण था कि वह गांव-गांव में घूमकर हारमोनियम बजाया करते थे।

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रमेश अपनी संगीत के और‌ हारमोनियम की धुन के दौरान गाय की महिमा और गोबर के फायदों के बारे में लोगों को बताया करते थे बचपन से ही उनके मन में गौ सेव का बीज था ।

आज रमेश भाई गाय आधारित ऑर्गेनिक खेती करके  और अन्य प्रोडक्ट तैयार करके 123 देशों में निर्यात करते हैं अर्थात वह सालाना 3 करोड का मुनाफा आसानी से अर्जित कर लेते हैं,

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि रमेश श्री गीर गौ कृषि जतन संस्था से जुड़े हुए हैं , रमेश कि इस संस्था से 100 से अधिक लोग जुड़ कर इस में काम कर रहे हैं अर्थात रमेश 150 से अधिक गायों की देखभाल करते हैं ।

कभी पूरा परिवार किया करता था मजदूरी

इस बात को जानकर आप सभी को काफी हैरानी होगी कि आज करोड़ों की कमाई करने वाले रमेश भाई, साल 1988 तक मजदूरी किया करते थे , इतना ही नहीं रमेश के माता-पिता भी दूसरों के खेतों में मजदूरी करके ही घर का खर्च चलाते थे।

घर की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण रमेश भाई केवल सातवीं तक ही पढ़ाई कर पाए थे, उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ने के बाद दूसरे की गाय को चलाने का कार्य ढूंढ लिया था जिसके लिए उन्हें महीने के 80 रुपए मजदूरी दी जाती ।

बातचीत के दौरान रमेश भाई बताते हैं कि मैंने अपने बचपन से काफी बुरी से बुरी परिस्थितियों का सामना किया है परंतु मैंने कभी भी हार नहीं मानी एक ही बात ने हमेशा मुझे आगे बढ़ने के लिए अग्रसर किया है वह है सीखने की चाह ।

इस प्रकार आया गौशाला और खेती का आईडिया

रमेश जिस वक्त मजदूरी का काम कर रहे थे उसी वक्त उन्होंने खेती करने का फैसला लिया हालांकि उनके पास खुद की जमीन नहीं थी इसलिए उन्होंने गोंडल के एक जैन परिवार से जमीन को किराए पर लिया और उस पर खेती करने शुरू कर दी ।

इस दौरान उन्होंने केमिकल वाली खेती के बजाए गाय आधारित खेती करने का निश्चय किया इस दौरान वह अपने खेतों में गाय का गोमूत्र और गोबर का इस्तेमाल करते हैं ऑर्गेनिक खेती का फायदा उन्हें जल्द होने लगे और उनकी पूरी जिंदगी बदल गई ।

रमेश भाई का कहना है कि उन्होंने वर्ष 2010 में केवल 10 एकड़ खेतों में 38000 प्याज का उत्पादन किया था और उनकी यह फसल आसपास के कई मंडियों में निर्यात होने के लिए चली गई , और यह बात जल्दी फलने लगी थी इसके दूसरे वर्ष हमने 1 एकड़ खेत में 36000 हल्दी का उत्पादन किया था जो न्यूज़ पेपर में एक खबर का विषय बन गई थी ।

गाय आधारित खेती करने से रमेश भाई का मुनाफा बढ़ते जा रहा था इस दौरान उन्होंने 4 एकड़ जमीन खरीदी और उसमें गौशाला को बनाने का निश्चय किया ।

38 वर्ष की आयु में सीखा कंप्यूटर चलाना

रमेश भाई कहते हैं कि हम गाय आधारित खेती और ऑर्गेनिक प्रोडक्ट तो काफी बढ़िया तैयार कर रहे थे हमें मार्केटिंग का उतना ज्ञान नहीं था हम आसपास के क्षेत्रों में साइकिल से ही डिलीवरी कराते थे परंतु बड़े व्यापारियों को प्रोडक्ट बेचने पर हमें फायदा नहीं हो पा रहा था क्योंकि वह हमारे प्रोडक्ट और भी अधिक दामों में बेच रहे थे , परंतु रमेश कहते हैं कि मैंने इस बीच की कड़ी को तोड़ने का निश्चय कर लिया था ।

भले ही रमेश भाई सातवी पास थे परंतु उन्होंने 38 वर्ष की आयु में भी सीखने की उम्मीद नहीं छोड़ी उन्होंने 38 वर्ष की आयु में कंप्यूटर सीखने का निश्चय किया , इंटरनेट का उपयोग करना सीखा, और बेसिक कंप्यूटर का कोर्स भी किया , ताकि वह ऑनलाइन मोड पर ऑर्डर्स ले सके ।

रमेश भाई सोशल मीडिया पर अपनी सफलता का राज बताते हुए कहते हैं कि वह काफी समय से एक यूट्यूब चैनल चला रहे हैं जिसमें वह गाय आधारित खेती के बारे में लोगों को जानकारी देते हैं धीरे-धीरे उस चैनल की लोकप्रियता बढ़ती गई और कई लोग उनसे उनके प्रोडक्ट्स को खरीदने की मांग करने लगे ।।

23 देश के लोगों को सिखा चुके हैं इस खेती के

रमेश भाई बताते हैं कि धीरे-धीरे हमारे पास कई लोग गाय आधारित खेती और ऑर्गेनिक घी बनाने के सभी तरीके सीखने आने लगे, जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि अब तक

रमेश रूपरेलिया 23 देशों के 10 हजार से अधिक लोगों को खेती और ऑर्गेनिक घी तैयार करने की ट्रेनिंग दे चुके हैं ।

इतना ही नहीं रमेश गांव के युवाओं को गांव में रहकर ही रोजगार तलाशने की सलाह देते हैं , रमेश कहते हैं कि अगर गांव के युवा गांव में रहकर रोजगार का विकास करें तो गांव में पेट्रोल डीजल के अलावा कुछ भी मंगवाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी , इसके साथ ही साथ रमेश भाई युवाओं को सोशल मीडिया और इंटरनेट का सही इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं।

 

लेखिका : अमरजीत कौर

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