ADVERTISEMENT

आइए जानते हैं बिहार की किसान चाची के बारे में, जिन्होंने साइकिल से अचार बेचने से लेकर पद्मश्री तक का सफर तय किया है

Bihar ke kisan chachi ki kahani
ADVERTISEMENT

मुजफ्फरपुर के सरैया के रहने वाली राजकुमारी देवी एक आम महिला से पहले साइकिल वाली चाची बनी उसके बाद किसान चाची बनी आज पूरा देश राजकुमारी देवी को किसान चाची के नाम से जानता है , पद्मश्री से सम्मानित राजकुमारी देवी को आज पूरा देश जानता है और यह महिला कई किसान महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत के रूप में उभर कर आ रही हैं ।

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि 65 वर्षीय राजकुमारी देवी मूल रूप से मुजफ्फरपुर ज़िले के सरैया प्रखंड के आनंदपुर गांव के रहने वाली हैं । राजकुमारी देवी ने सालों पहले खेती को मुनाफे का बिजनेस बनाया और किसान चाची के रूप में मशहूर हो गई।

ADVERTISEMENT

आज राजकुमारी देवी के अचार देश-विदेश में पसंद किए जाते हैं हालांकि उनकी बढ़ती उम्र के कारण उनकी तबीयत खराब होने लगी परंतु फिर भी उन्होंने अपना काम का उत्साह नहीं छोड़ा और वही उत्साह से आज भी अपना काम में लग गई थी हालांकि राजकुमारी देवी को डॉक्टर द्वारा साइकिल ना चलाने की सलाह दी गई थी परंतु फिर भी राजकुमारी देवी औरतों के साथ मिलकर अचार बनाने के कार्य के कारण साइकिल का उपयोग करके यहां वहां अचार का निर्यात करती हैं ।

बातचीत के दौरान राजकुमारी देवी बताती हैं कि उनका खेती के काम में उनका बेटा अमरेंद्र उनका साथ देता है हालांकि खेती का सारा प्रोडक्शन राजकुमारी देवी स्वयं संभालती हैं। पद्मश्री सम्मानित राजकुमारी देवी का कहना है कि कई संघर्षों के बाद आज सफलता का मुकाम हासिल करके नाम कमा पा रही हैं ।

ADVERTISEMENT

लंबे संघर्ष के बाद बनाई थी पहचान :-

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि राजकुमारी देवी कई समय से टीचर बनने का सपना देख रही थी , परंतु आज राजकुमारी देवी पूरे देश में किसान चाची के रूप में मशहूर है और देश की कई महिलाओं को खेती के गुणों से अवगत कराती हैं ।

वर्ष 1990 में राजकुमारी देवी को अपने घर की परिस्थितियों को सुधारने के लिए अपने पति के साथ मिलकर खेती का काम करना पड़ रहा था इस दौरान उन्होंने जैविक खेती के तरीके का इस्तेमाल करके अपने खेती के उत्पादन को कई गुना बढ़ा दिया था जिससे वह आस-पास के कई किसानों के बीच में लोकप्रिय बन गई थी ।

इस दौरान राजकुमारी देवी कहती हैं कि फसल का उत्पादन तो बढ़ गया परंतु बाजार अच्छा ना मिलने के कारण कई फसल बर्बाद हो रही थी परंतु अन्य प्रोडक्ट्स बनाने के ख्याल शुरू से मेरा मन में था इस दौरान अचार बनाना सबसे उपयुक्त था और घर की हर महिलाओं को अचार बनाना आता ही है हालांकि इस अचार बनाने के आइडिया को किस प्रकार बिजनेस में लाना चाहिए इसका अनुमान राजकुमारी देवी को नहीं था ।

राजकुमारी देवी ने वर्ष 2002 में विज्ञान केंद्र से फूड प्रोसेसिंग ट्रेनिंग ली और छोटे स्तर पर अपने काम की शुरुआत कर दी इस दौरान राजकुमारी देवी अचार बनाया करती थी साथ ही साथ उन्होंने साइकिल चलाना भी सीख लिया था इस दौरान वह साइकिल से आसपास के क्षेत्रों में जाकर के छोटे छोटे पैकेट लोगों को देती थी ताकि उन्हें अचार के स्वाद का पता चले और लोग उनसे अचार खरीदें ।

राजकुमारी देवी कहती हैं कि एक बार मैं घर से बाहर निकली और इसके बाद अवसर मिलते गए मैंने यह नहीं सोचा कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं अवसर मिलते गए और मैं करती रही इस दौरान ही राजकुमारी देवी को वर्ष 2006 में “किसान श्री पुरस्कार” से सम्मानित किया गया था इस दौरान ही उन्हें किसान चाची का टैग मिला था , आज किसान चाची अपने अचार और मुरब्बे के लिए देश भर में मशहूर है ।

देश की कई महिला किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बन रही है किसान चाची :-

राजकुमारी देवी कहती हैं कि मैं खेती की नई तकनीकों को सिखा था उसे मैंने आसपास की सभी महिला किसानों को बताया हालांकि खेती-बाड़ी में हमेशा ही महिलाओं का योगदान रहता है क्योंकि अगर पुरुष खेती करते हैं तो भंडारण का काम महिलाएं को संभालना पड़ता है।

हालांकि इस कार्य के उन्हें वेतन नहीं दिया जाता था परंतु मैंने उन्हें समझाया कि जब भी समय मिले प्रोडक्ट तैयार करो और उन्हें बेचो , इस दौरान सभी महिलाएं खुद को आत्मनिर्भर महसूस करेंगी हालांकि सभी के पास हुनर होता है केवल इसे इस्तेमाल करने की आवश्यकता है ।

 

लेखिका : अमरजीत कौर

यह भी पढ़ें :

11वीं में पढ़ने वाली छात्रा ने पौधों को सींचने के लिए तैयार की Solar Cycle , बिना पंप के की जा सकती है सिंचाई

ADVERTISEMENT

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *