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Borosil: बोरोसिल ने 4 दशक में तय की सफलता, आसान नही था सफर

Borosil ki safalta ki kahani
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Borosil success story : –

आज के समय में भारत में बोरोसिल (Borosil) एक जाना माना ग्लासवेयर ब्रांड बन चुका है। बोरोसिल की स्थापना आज से लगभग 4 दशक पहले 1962 में हुई थी।

 आज यह कंपनी दवाइयों की शीशियों से लेकर कप प्लेट और किचन में काम आने वाले ज्यादातर सामान बनाने का काम करती है। लगभग चार दशक पुराने इस ब्रांड को लोग आज भी बहुत पसंद करते हैं। हालांकि यह सफर आसान नहीं था। इस ब्रांड ने काफी उतार-चढ़ाव देखे है। 

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ऐसे हुई थी बोरोसिल (Borosil) कंपनी की स्थापना :-

बोरोसिल ग्लास वर्क्स लिमिटेड के प्रबंधक निदेशक श्रीवर खेरूका कहते हैं कि 1950 के दशक में उनके परदादा जी कोलकाता में जुट के सामानों के ब्रोकर थे। बाद में उनके दादा बीएल खेरूका उनके साथ जुड़ गए।

दोनों कंपनी को आगे बढ़ाने के लिए दिन रात मेहनत करने लगे और बिजनेस खड़ा किया। उनकी कंपनी ने ग्रोथ करना भी शुरू कर दिया था। लेकिन जुट एक्सचेंज बंद हो जाने के बाद उनका कारोबार बिखरने लगा था।

जिससे उनके दादाजी अपने कुछ काफी परेशान थे। लेकिन बेहतर होने की उम्मीद थी। उन्हें एक झटका लगा था जिससे वह सीख लेकर बिजनेस की तरफ आगे बढ़े और निराशाजनक परिस्थिति से बाहर निकल गए। 

उनके दादा जी कुछ नया करना चाहते थे। इसलिए वह जर्मनी, जापान के साथ साथ दुनिया के कई देशों की यात्रा की और काफी रिसर्च किया। इसके बाद उनके दिमाग में बिजनेस करने का दो आईडिया आया।

पहला आइडिया कागज का बिजनेस था और दूसरा कांच के बिजनेस का। उन्होंने दोनों काम के लाइसेंस लेने के लिए आवेदन कर दिया। तब उन्हें ग्लास का बिजनेस शुरू करने के लिए भारत सरकार से अनुमति मिल गई और वह विंडो ग्लास लिमिटेड के रूप में कंपनी की स्थापना किये।

आज यही कंपनी बोरोसिल के नाम देश भर में मशहूर हो गई है। यह कंपनी पहले विंडो ग्लास लिमिटेड के नाम से जानी जाती थी, जिसकी स्थापना 1962 में हुई थी। उस समय कंपनी औद्योगिक और साइंटिफिक ग्लास बनाने और बेचने का काम करते थे।

जब उनके दादाजी कांच का बिजनेस शुरू करने का फैसला किया तब इसमें काफी संघर्ष का भी सामना किया क्योंकि वह इसके बारे में पूरी तरीके से वाकिफ नहीं। 

कैसे पड़ा बोरोसिल नाम :- 

श्रीवर बताते हैं कि कंपनी की शुरुआत जब 1962 में हुई थी। तब से लगभग 12 साल तक कंपनी घाटे में रही। लेकिन इसके बावजूद उनके दादाजी बिजनेस को आगे बढ़ाते रहें। क्योंकि उन्हें इस बात की पूरी उम्मीद थी कि उनका बिजनेस ग्रो करेगा और वह इसे विश्वास के साथ आगे बढ़ते गए। 

बोरोसिलिकेट एक ऐसा कांच है जो अधिक तापमान में इस्तेमाल करने के बावजूद टूटता नहीं है। यही वजह लैप्स और उद्योगों में इस्तेमाल के लिए यह कांच बिल्कुल परफेक्ट होता है।

बोरोसिलिकेट कंपनी का एक प्रमुख ब्रांड बन चुका था। बोरोसिलिकेट से कंपनी के नाम को प्रेरणा इसी सेमिली और इसे एक नया नाम देकर बोरोसिल ब्रांड बना दिया गया। लेकिन आज बोरोसिल के सामान किचन और होम ब्रांड है। लेकिन यह पहले नही थे। 

पहले यह कंपनी ज्यादातर साइंटिफिक उत्पादों को ही बनाती थी। 1988 में खेरूका ने जेवी के शेयर  को खरीदा और धीरे – धीरे कंपनी पर पूरा नियंत्रण ले लिया और उसके बाद उनका खुद का सफर शुरू हो गया।

आज यह एक जानी-मानी कंपनी है। इसका सालाना टर्नओवर करोड़ों में है। इस कंपनी का सफर आसान नहीं था। कंपनी के साथ परिवार की तीसरी पीढ़ी जुड़ने के बाद यह कंपनी तेजी से बढ़ने लगी। 

कंपनी विरासत में मिली लेकिन संघर्ष बड़ा था :- 

श्रीवर के पिता प्रदीप खेरूका जब बिजनेस से जुड़े थे तब उनकी उम्र मात्र 18 साल की थी। लेकिन श्रीवर बिजनेस में आने से पहले कुछ करना चाहते थे। वह आगे की पढ़ाई के लिए विदेश जाना चाहते थे। उन्होंने इसके लिए अपने परिवार वालों को मना लिया।

इसके बाद पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की। साल 2006 में उनके पिताजी ने उन्हें फोन करके याद दिलाया कि भारत में उनका बिजनेस उनका इंतजार कर रहा है। 2006 में श्रीवर भारत वापस आकर बिजनेस ज्वाइन करते हैं।

उस समय उन्हें यह बिजनेस काफी मुश्किल लगा। उन्होंने परिस्थितियों से लड़ा और काफी कुछ सीखा। बोरोसिल एक ऐसा ब्रांड है जो लोगों के दिलो में बसता है। वह बताते हैं कि उनका ब्रांड हर किसी को पसंद था।

हर कोई इस ब्रांड से लगाव रखता था। बाद में उन्हें चीजें बदलनी पड़ी। लेकिन यह ब्रांड लोगों के दिलों दिमाग में बसा हुआ था। यही वजह है श्रीवर को इससे आगे बढ़ने के लिए काफी प्रेरणा मिली। 

ग्राहकों के फीडबैक पर देते है ध्यान :-  

श्रीवर बताते हैं कि ब्रांड की ताकत उसके ग्राहक की प्रतिक्रिया से होती है। इसलिए कभी भी ग्राहक की प्रतिक्रिया को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। वह अपने ग्राहकों की शिकायतों का आकलन करते हैं।

वह इन सब पर नजर रखते हैं और जल्द से जल्द निपटाने की कोशिश करते हैं। वह बताते हैं कि वह शहरों में घूम घूम कर ग्राहकों से मिलकर उनसे बातचीत करते थे और अपने ब्रांड में सुधार करते थे। 

भारतीय ब्रांड होने का ग्राहकों को नहीं होता विश्वास :- 

श्रीवर बताते हैं कि जब वह ग्राहकों को बताते हैं कि यह एक भारतीय ब्रांड है तो ग्राहक काफी हैरान होते हैं। उनकी पैकेजिंग और क्वालिटी हमेशा से लोगों को अंतरराष्ट्रीय ब्रांड का एहसास दिलाती है। बोरोसिल के ग्राहक कंपनी से काफी लंबे समय से जुड़े हुए हैं। 

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