ADVERTISEMENT
dr sunil kumar hebbi mobile clinic

एक डॉक्टर ने कार को बनाया अपना क्लीनिक सड़कों पर जा जाकर करते हैं लोगों का मुफ्त इलाज

ADVERTISEMENT

डॉ सुनील कुमार हेब्बी बेंगलुरु के रहने वाले हैं, और सड़क किनारे और गरीब लोगों के लिए एक मसीहा से हैं जिनके पास डॉक्टर को देने के लिए पैसे नहीं है, सुनील कुमार ने पिछले 8 सालों में 800 से अधिक मेडिकल कैंप लगाए हैं इसके साथ ही साथ 1 लाख 20 हजार से अधिक बच्चों का मुफ्त में इलाज भी किया है।

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि बेंगलूर के रहने वाले डॉक्टर सुनील कुमार आम लोगों की तरह हॉस्पिटल में प्रैक्टिस करना और आलीशान जिंदगी जीना चाहते थे, परंतु 10 साल पहले हुए एक हादसे ने डॉ सुनील कुमार की पूरी जिंदगी बदल दी और अब वे आलीशान जिंदगी जीने के बारे में नहीं सोचते उनके बारे में सोचते हैं जिनके पास डॉक्टर को फीस देने को पैसे तो क्या बल्कि खुद के खाने के लिए भी पैसे नहीं है।

ADVERTISEMENT

आज डॉक्टर सुनील कुमार लोगों का मुफ्त में इलाज करते हैं और इसके लिए उन्होंने अपने कार को मोबाइल क्लीनिक की तरह तैयार कर लिया है डॉ सुनील कुमार बताते हैं कि वह सारे दिन अपने फोन को ऑन रखते हैं और जैसे ही कोई मैसेज या फिर कॉल आता है वह तुरंत अपने चलते फिरते क्लीनिक को लेकर लोगों के इलाज के लिए निकल पड़ते हैं।

 

ऐसी घटना जिसने बदल दी  पूरी जिंदगी

डॉ सुनील कुमार मूल रूप से बेंगलुरु के मल्लेश्वरम के रहने वाले हैं इन्होंने अपने मोबाइल क्लीनिक की शुरुआत वर्ष 2010 में की थी, और रोजाना की तरह वह दिन भी इनके लिए काफी व्यस्त था और इस दौरान वह तमिलनाडु के होसुर-चेन्नई हाईवे से हॉस्पिटल जा रहे थे और उस वक्त ही उनके सामने रास्ते में एक सड़क दुर्घटना हो जाती है ।

डॉ सुनील कुमार तुरंत ही उस व्यक्ति के पास पहुंचते हैं और उसका प्राथमिक उपचार करते हैं और तुरंत ही उसे अस्पताल ले जाने का प्रयास करते हैं उसे अच्छा इलाज मिल सके।

डॉक्टर सुनील अपनी भागदौड़ की जिंदगी की तरह इस हादसे को भी शाम तक भूल चुके थे और अगली सुबह उन्हें एक व्यक्ति की मां का कॉल आता है और वह उसे धन्यवाद देती है और घर आने के लिए काफी आग्रह करती है।

डॉक्टर सुनील भी समय निकालकर उस आदमी के घर चल जाते हैं और उस वक्त उन्हें एहसास होता है कि अगर इस मरीज का इलाज सही वक्त पर नहीं हुआ होता तो आज वह मर जाता।

उस सड़क दुर्घटना में जो आदमी घायल हुआ था उसकी मां हाथ जोड़कर डॉक्टर सुनील को धन्यवाद कहती है औरत की आंखों से आंसू गिर रहे थे और सुनील कहते हैं कि उनकी आर्थिक स्थिति में इतनी अच्छी नहीं थी कि वह किसी दूसरे डॉक्टर या फिर अस्पताल में जाकर इलाज करवा पाते।

 

डॉक्टर सुनील ने किया अपने आपसे एक सवाल

डॉ सुनील कुमार ने अपने आने वाले भविष्य के लिए जो भी प्लानिंग की थी वह उस पर एक बार फिर से सोचने के लिए मजबूर हो गए थे, डॉक्टर सुनील खुद से एक सवाल करते हैं क्या मैंने अपनी जिंदगी का जो उद्देश्य बना रखा है क्या वह सही है।

डॉक्टर सुनील बताते हैं कि बीजापुर मेडिकल कॉलेज से डिग्री हासिल करने के बाद अच्छे प्राइवेट अस्पताल में नौकरी पाना ना केवल मेरा सपना था बल्कि इस सपने के साथ साथ मेरा पूरा परिवार जी रहा था।

वह अपने परिवार द्वारा दिए गए पढ़ने के संघर्ष के बारे में बताते हुए कहते हैं कि मेरे परिवार ने मेरी पढ़ाई के लिए कर्ज लिया था ताकि मैं एक अच्छी नौकरी प्राप्त कर सकूं और परिवार की सारी परेशानियों को दूर कर सकूं और ऐसे में अपनी नौकरी को छोड़ कर मोबाइल क्लीनिक की शुरुआत करना मेरे लिए आसान नहीं था।

 

नौकरी और मोबाइल क्लीनिक में से किसी एक को चुनना था काफी मुश्किल

डॉ सुनील कुमार अपने परिवार की स्थितियों को सही करने के लिए अपनी नौकरी को अच्छी तरह से कर रहे थे परंतु हुए एक हादसे ने उनकी जिंदगी को झकझोर कर रख दिया।

डॉक्टर सुनील ऐसे लोगों का इलाज करना चाहते थे जिनके पास डॉक्टर को देने के लिए पैसे तक नहीं है और जो डॉक्टर तक पहुंच भी नहीं सकते हैं, डॉक्टर सुनील कहते हैं कि अपनी नौकरी को छोड़ कर मोबाइल क्लीनिक  की शुरुआत करना काफी कठिन था क्योंकि परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी बेहतर नहीं थी  इसलिए फिर मैंने बीच का रास्ता निकालने का प्रयास किया।

डॉक्टर सुनील कहते हैं कि मैंने अपनी नौकरी के साथ-साथ गरीब लोगों की मदद करने की ठान ली थी इसलिए मैंने सप्ताह के 2 दिन शनिवार और रविवार मोबाइल क्लीनिक खोलने का ठान लिया और इस 2 दिन में गरीब लोगों की जा जाकर मदद करता हूं।

सुनील कहते हैं कि मैं अपनी नौकरी भी करता हूं परिवार की आर्थिक स्थिति को भी सही कर रहा हूं इसके साथ ही साथ अपने इन पैसों से कई मेडिकल कैंप भी लगा रहा हूं।

डॉक्टर सुनील बताते हैं कि मैं जानता हूं कि हफ्ते के 2 दिन काफी नहीं है इसी कारण मैंने अपनी चलती फिरती कार को मोबाइल क्लीनिक में बदल दिया कि मैं ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सकू ।

डॉक्टर सुनील बताते हैं कि मुझे किसी भी बुनियादी ढांचे की जरूरत नहीं है मैं अपनी चलती फिरती कार के द्वारा कई जरूरतमंद मरीजों तक पहुंचकर मुफ्त में उनका इलाज करता हूं।

 

इस प्रकार मोबाइल क्लीनिक के लिए छोड़ दी नौकरी

डॉ सुनील कुमार के लिए लोगों की सेवा करना और जरूरतमंदों का इलाज करना उनके लिए एक जुनून सा बन गया था और इसके कारण ही उन्होंने वर्ष 2011 में बीजीएस ग्लोबल की नौकरी छोड़ दी और जरूरतमंद लोगों के लिए मातृ सिरी फाउंडेशन नाम से एक गैर सरकारी संगठन की शुरुआत कर दी।

डॉक्टर सुनील कुमार कहते हैं कि इलाज के लिए आने वाले कई लोग ऐसे होते हैं जो इतने गरीब होते हैं कि वह मेरी फीस तो छोड़िए अपनी दवाओं के लिए भी पैसे नहीं निकाल पाते हैं, मैं अपने मोबाइल क्लीनिक के जरिए मुफ्त में इलाज देता हूं और फिस उन्हीं से लेता हूं जो इसे दे पाने में सक्षम है।

सुनील बताते हैं कि बिना किसी सहयोग के मेरे लिए लाखों लोगों का इलाज कर पाना असंभव है इसीलिए मेरे दोस्त और कुछ अन्य लोग आर्थिक रूप से दान करते हैं जिससे कई लोगों का इलाज हो पाता है।

मोबाइल क्लीनिक को है अब अधिक से अधिक लोगों की सहायता की जरूरत

फिलहाल तो डॉक्टर सुनील 800 से अधिक मेडिकल कैंप लगा चुके हैं और 1 लाख 20 हजार के आसपास मरीजों को इलाज के हैं, डॉक्टर सुनील को स्वास्थ्य के क्षेत्र में विकास लाने के लिए उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू द्वारा इन्हें वर्ष 2018 में पुरस्कृत भी किया जा चुका है।

आज सुनील किस प्रकार लोगों की मदद कर रहे हैं वह काफी प्रेरणा स्रोत है अगर ऐसे ही कई लोग गरीबों की मदद करें तो भारत देश की गरीबी काफी आसानी से दूर हो जाएगी सुनील तो

कई मददगार लोगों का इलाज मुफ्त में करते ही हैं इसके साथ ही साथ हुआ कई लोगों से आग्रह करते हैं कि वह उनके साथ इस मुहिम में जुड़े और जरूरतमंद लोगों का मुफ्त में इलाज करने में सहायता प्रदान करें।

लेखिका : अमरजीत कौर

यह भी पढ़ें :

आइए जानते हैं महाराष्ट्र में आने वाली बाढ़ में 300 से अधिक लोगों की जान बचाने वाले 25 वर्ष के युवा हीरो स

Similar Posts

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *