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MNC की नौकरी छोड़ शुरू किया, पोर्टेबल टेरेस फार्मिंग अब 1500 से अधिक लोगों को जोड़ा है खेती से

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45 वर्ष प्रतीक तिवारी जयपुर के रहने वाले हैं इन्होंने अपनी MNC की नौकरी को छोड़ कर पोर्टेबल फार्मिंग का बिजनेस शुरू किया, और आज उन्होंने देश के कोने कोने से 25 से अधिक घरों को खेती से जोड़ लिया है।

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि पिछले कुछ वर्षों में जैविक खेती के मामले में काफी तेजी देखी गई है, सबसे अधिक तेजी करोना महामारी के दौरान देखी गई। तो कई लोग ऐसे हैं जो अपने घरों की छत पर ही सब्जियों का उत्पादन करना चाहते हैं, परंतु पूर्ण जानकारी का अभाव होने के कारण वह या नहीं कर पाते हैं।

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लोगों की यही परेशानी को दूर करने के लिए जयपुर के रहने वाले प्रतीक तिवारी ने “द लिविंग ग्रीन्स” के नाम से एक स्टार्टअप शुरू किया है और अपने इस स्टार्टअप के तहत प्रतीक ने गुवाहाटी ,कोलकाता, दिल्ली जैसे देशों के 25 से अधिक शहरों  में 1500 से

अधिक पोटेबल फार्मिंग का सेटअप लगाया है, और कई लोगों को अपनी सब्जियां उनके छत पर उगाने के लिए मदद की है। आज उनके इस्टार्टअप का सालाना टर्न ओवर 1.5 करोड़ तक पहुंच गया है।

प्रतीक तिवारी अपने इस स्टार्टअप के तहत लोगों को खाद मिट्टी और पौधे इरिगेशन सिस्टम एवं ग्राहकों की 24×7 ऑर्गेनिक एक्सपर्ट गाइड की सारी सुविधा प्राप्त कराई है, इतना ही नहीं प्रतीक तिवारी के स्टार्टअप को देखकर बिहार राज्य सरकार ने टेरेस फार्मिंग को काफी अधिक बढ़ावा दिया है।

प्रतीक तिवारी अपने इस्टार्टअप के बारे में कहते हुए बताते हैं कि “हमने टेरेस फार्मिंग के बारे में सभी जानकारियां प्राप्त कर 2013 में टेरेस फार्मिंग करना शुरू किया था और 4 साल रिसर्च के बाद 2017 में हमने “द लिविंग ग्रीन्स” स्टार्टअप की शुरुआत की थी।

प्रतिक कहते हैं कि इस्टार्टअप की शुरुआत से हमारा उद्देश्य लोगों को यह बताना था कि वह अपने छत की इस्तेमाल करके आसानी से सब्जियों को उगा सकते हैं, हालांकि कहने में यह जितना आसान है परंतु करने में यह कार्य उतना ही कठिन है, परंतु अगर पूर्ण जानकारी आपको प्राप्त हो तो आप यह कार्य अवश्य कर सकते हैं।

प्रतीक बताते हैं कि छत पर सब्जियां उगाना सरल तो नहीं है परंतु इतना अधिक कठिन नहीं है अगर कोई अपनी सब्जी के तरीके में बदलाव करना चाहता है तो उसे एक मौसम का इंतजार करना होगा यही कारण है कि यह करने में काफी  अधिक समय लग जाता है।

 

इस प्रकार मिली टेरेस पोर्टेबल फार्मिंग करने की प्रेरणा

प्रतिक कहते हैं कि उन्होंने 1998 में उदयपुर के महाराणा प्रताप एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट से पढ़ाई पूरी की थी उसके बाद इन्होंने एक संस्था के साथ जोड़कर इंटरनेशनल बिजनेस में एमबीए की डिग्री हासिल की, और वर्ष 2000 में इन्होंने महिंद्रा कंपनी के साथ काम करना शुरू किया।

वह कहते हैं कि जब मैंने 2013 में अपनी नौकरी को छोड़ दिया तब मैं वॉलमार्ट बायर के पद पर था जिसका काम पश्चिम भारत में उत्पादों की सर्विसिंग करना था। और यही वक्त था जब वह कोई नया कार्य करने का फैसला लेने का सोच रहे थे।

प्रतिक कहते हैं कि कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो पूरे परिवार को झकझोर कर रख देती है, वह कहते हैं कि मेरे परिवार में भी कैंसर के शिकार से कई लोगों की जान जा चुकी है जिससे मैं काफी झकझोर गया था, और हमारे कई सगे संबंधी डॉक्टर थे और हर बार यही बात आती थी सामने कि यह सब साग सब्जियों मैं मिले केमिकल के कारण ही होता है।

इसके  बाद प्रतीक ने यही बात से प्रेरित होकर सुखचैन की नौकरी छोड़कर टेरेस फार्मिंग बिजनेस शुरू करने का निश्चय कर लिया। इस दौरान प्रतिक कहते हैं कि मैं वॉलमार्ट की नौकरी के दौरान मैं एक बार कोटा के गुडली गांव में गया था, इस गांव में

भिंडी की खेती काफी बड़े पैमाने पर होती थी और हम भिंडी खरीदते करते इतना अधिक व्यस्त हो गए कि शाम हो गई और खाने के लिए कुछ नजर नहीं आ रहा था तब हमने एक किसान से पूछा कि खाना कहां मिलेगा तब उसने बताया कि खाना हाईवे पर मिलेगा।

प्रतीक बताते हैं कि गाड़ी में बैठने वक्त जब हम हाईवे खाना खाने के लिए निकल ही रहे थे तब उसके सामने मेरे कान में आकर कहा कि आप भिंडी की सब्जी मत खाना मैं यह बात सुनकर दंग रह गया। और जब मैंने उससे पूछा कि ऐसा क्यों तब उसने थोड़ी हिचकिचाहट से परंतु कहा कि आप गाड़ी से उतर के आई है मैं आपको पूरी बात बताता हूं।

इसके बाद ही वह किसान प्रतीक को बताता है कि भिंडी की खेती के कारण साल में तीन से चार लोगों की मौत हो जाती है। किसान कहता है कि दरअसल भिंडी का ऊपरी सिरा काफी मुलायम होता है, कारण है कि फ्रूट बोरर  भिंडी के अंदर काफी आसानी से घुस जाता है और कीड़ा लगने के कारण भिंडी का का टेढ़ा हो जाता है और खरीदा इसे नहीं खरीदते किसान इससे बचने के लिए

सिस्टेमिक पेस्टीसाइड का इस्तेमाल करते हैं इस्तेमाल  से भिंडी पूरी तरह से जहरीली हो जाती है जिससे कीड़े नहीं लगते। बताता है कि इस कीटनाशक को किसानों को सप्ताह में एक बार छिड़काव करने के लिए कहा जाता है परंतु किसान प्रतिदिन दो बार इसका छिड़काव करते हैं जो भिंडी को पूरी तरह से जहरीला कर देता है।

सिस्टेमिक पेस्टीसाइड किटनाशक इतना अधिक हानिकारक होता है कि यह छिड़काव के वक्त अगर किसानों के सांसो तक चला जाता है तो किसानों की मौत हो सकती है और कई बार तो पक्षी और जानवर इस कीटनाशक के वजह से मर चुके हैं।

प्रतिक कहते हैं कि मेरे जैसे मिडिल क्लास के लिए वॉलमार्ट में काम करना एक सपना होता है परंतु कई बार ऐसा होता है कि हम अपने सपने के बजाय अपने अंतःकरण की आवाज सुनते हैं और मेरे साथ भी यही हुआ मैंने अपनी अंदर की आवाज सुनी और अपना यह कार्य छोड़ कर कुछ अलग करने का ठान लिया।

इसके बाद ही प्रतीक ने पोर्टेबल फार्मिंग करना शुरू कर दिया और पोर्टेबल फार्मिंग में शुद्ध सब्जियों को उठाकर खुद तो शुद्ध सब्जियों का सेवन करते ही हैं इसके साथ ही साथ अन्य कई परिवारों को इसके साथ जोड़कर शुद्ध सब्जियों का सेवन करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

प्रतीक कहते हैं कि आजकल जीवन जीने के लिए अच्छे डॉक्टर कि नहीं अच्छे किसान की जरूरत है अगर किसान अच्छा होगा तो हम खाना भी अच्छा खा पाएंगे और खाना अच्छा होगा तो हमें डॉक्टर की जरूरत कभी भी नहीं पड़ेगी।

आज प्रतिक अपने स्टार्टअप से कई लोगों को प्रेरित कर रहे हैं और सब्जी खाने के लिए और खुद के छत पर पोर्टेबल फार्मिंग करने के लिए लोगों को प्रेरित कर रहे हैं, और अपनी अच्छी खासी नौकरी को छोड़कर पोर्टेबल फार्मिंग के द्वारा सालाना 1.5 करोड का टर्नओवर कर ले रहे हैं।

 

लेखिका : अमरजीत कौर

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