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3 साल के बच्चे और कैरियर दांव पर लगाकर इस तरह अनुपमा बनी आईएएस

3 साल के बच्चे और कैरियर दांव पर लगाकर इस तरह अनुपमा बनी आईएएस

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Success story of IAS topper Anupama Singh:-

आज हम एक ऐसी महिला की कहानी लेकर आए हैं जिसने अपनी 3 साल के बच्चे और अपने कैरियर को दांव पर लगाकर सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू की थी, और अपना आईएस बनने का सपना पूरा किया।

वह एक मां, एक चिकित्सक और फिर एक आईएएस ऑफिसर बनी। अनुपमा एक ऐसी महिला हैं जिन्होंने अपने लगन और त्याग से वह मुकाम हासिल किया है जिसका हर कोई सपना देखता है।

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बिहार के पटना की रहने वाली अनुपमा के संघर्ष के बारे में सभी लोगों को जानना चाहिए और प्रेरणा लेनी चाहिए। जो लोग सफल होना चाहते हैं उन्हें अनुपमा से जरूर सीख लेनी चाहिए।

अनुपमा ने सफल होने के लिए बहुत संघर्ष किया। अक्सर देखा जाता है कि लोग सफल होने के लिए संघर्ष करते हैं और कई बार असफलता से निराश हो जाते हैं।

समाज में आज भी ऐसे लोग बहुत अधिक है जो यह सोचते हैं कि शादी के बाद महिलाओं की प्रोफेशनल लाइफ एक तरह से खत्म हो जाती है।

कई लोग यह भी सोचते हैं कि मां बनने के बाद एक महिला सिर्फ और सिर्फ अपने बच्चे की परवरिश करें और अपने परिवार के प्रति समर्पित रहे।

लेकिन आज हम उस महिला के बारे में जानेंगे जिसने समाज की इस दकियानूसी सोच को दरकिनार करके अपना संघर्ष जारी रखा और कामयाबी हासिल की।

अनुपमा सिंह ने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने के लिए अपनी बेहतरीन नौकरी छोड़ दी थी। वह अपने 3 साल के बच्चे से भी दूर रही।

उनका यह त्याग व्यर्थ नहीं गया। वह वक्त आया जब वह आईएएस बनी और लोगों के लिए मिशाल कायम की।

अनुपमा सिंह का जन्म पटना के कंकड़बाग में हुआ था। यहीं पर वह पली-बढ़ी हैं। दसवीं तक की स्कूलिंग उन्होंने माउंट कार्मेल हाई-स्कूल से की है।

अनुपमा ने हाई स्कूल 2002 में पूरा किया था। अनुपमा जब बेहद छोटी थी तब से वह सिविल सेवा में जाने का सपना देखती थी।

बड़ा होने के बाद उन्होंने डॉक्टर बनने का फैसला किया और मरीजों का इलाज करने लगी। साल 2011 में उन्होंने पटना के पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल की प्रवेश परीक्षा दी थी, जिसमें उन्हें सफलता मिली। फिर उन्होंने Gynecology में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की।

साल 2014 में उन्होंने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से मास्टर इन सर्जरी में डिग्री हासिल की। और फिर एक सरकारी अस्पताल में नौकरी मिल गयी।

इसके बाद उनकी शादी डॉक्टर रविंद्र कुमार से उसी समय हो जाती है। जल्द ही अनुपमा एक बच्चे को जन्म देती हैं और अपने बच्चे का नाम अनय रखती हैं।

3 साल तक अनुपमा सिंह एक gynocologist के रूप में एक अस्पताल में काम करती हैं। उसके बाद उन्हें ऐसा महसूस होता है कि सरकारी अस्पतालों की स्थिति सही नहीं है।

स्वास्थ्य सुविधाओं में बड़े पैमाने पर बदलाव करने की बहुत ज्यादा जरूरत है। वह स्वास्थ्य सुविधाओं को और भी ज्यादा बेहतर बनाना चाहती थी।

सिस्टम को सुधारने के मकसद से उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा में बैठने का मन बनाया और यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी।

अनुपमा सिंह ने यूपीएससी की तैयारी करने के लिए अपनी सरकारी नौकरी भी छोड़ दी। यहां तक कि वह अपने मासूम से बेटे को भी छोड़कर उससे दूर रहने का फैसला करती है और सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए वह दिल्ली चली जाती हैं।

साल 2018 में वह दिल्ली के एक प्रतिष्ठित कोचिंग में एडमिशन लेती हैं। साल 2019 की यूपीएससी परीक्षा में अनुपमा सिंह को 90 वी रैंक मिलती है। और इस तरह से उनका आईएएस बनने का सपना पूरा हो जाता है।

प्रेरणा

अनुपमा सिंह की सफलता की कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि अगर हम दृढ़ संकल्प व पूरी लगन से एक लक्ष्य निर्धारित करके उसे पाने की कोशिश करते हैं तो व्यक्ति को उसमे सफलता जरूर मिलती है।

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