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पिता नहीं रहे तो परिवार की दयनीय स्थितियों को संभालने के लिए दोनों भाइयों ने रेस्टोरेंट्स चलाकर लोगों का दिल जीत लिया

Jashandeep and Anshdeep singh ki prerak kahani
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कई बार ऐसा होता है कि हमें अपनी जिंदगी में समय से पहले ही परिस्थितियों के कारण जिम्मेदारियों के बोझ को अपने सर पर उठाना होता है। हमारे जीवन में पिता का महत्व काफी होता है ऐसा कहा जाता है कि पिता के होने से ही बच्चों के सपने जिंदा रहते हैं, ऐसे में यह काफी विचार पूर्ण बात है कि जिनके सर पर पिता का हाथ नहीं है उन बच्चों का क्या होता होगा।

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि आज की हमारी कहानी काफी भावुक है आज हम बात करने वाले हैं 17 साल के जशनदीप और 11 साल के अंशदीप सिंह के बारे में, इन दोनों बच्चों के सर से कुछ समय पहले ही उनके पिता का हाथ उठ चुका है।

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पिता के जाने के बाद इन दोनों बच्चों ने परिवार की दयनीय स्थितियों को संभालने के लिए रेस्टोरेंट खोलकर उसमें काम करना शुरू किया है।अन्यथा सोशल मीडिया पर इनके रेस्टोरेंट की वीडियो काफी वायरल हो रही है जो अमरजीत सिंह के द्वारा अपीलों की गई है। इस वीडियो में जशनदीप और अंशदीप दोनों भाई मिलकर सैंडविच और पिज़्ज़ा बनाते हुए नजर आते।

इस वीडियो में जशनदीप बताते हैं कि उनके पिता के गुजरने के बाद दिसंबर 26 2021 से वह और उन का छोटा भाई मिलकर रेस्टोरेंट को संभाल रहे हैं, इस दौरान वह काफी भावुक नजर आते हैं।

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अन्यथा जशनदीप अपनी परेशानियों को बताते हुए कहते हैं कि जितनी अधिक हम अपनी रेस्टोरेंट से कमाई नहीं कर पाते हैं उतनी अधिक सामान को लाने में पैसे खर्च हो जाते हैं।

गौरतलब है कि दोनों भाइयों के चेहरे में एक उम्मीद नजर आती है जशनदीप कहते हैं कि उनके पिता का कहना है कि किसी भी चीज से उम्मीद कभी भी नहीं छोड़नी चाहिए और यही सीख के बल पर उनके बच्चे आज अपनी नजरों में उम्मीद रखते हैं।

सिख गुरु गोविंद सिंह की प्रेरणा देते हुए जशनदीप का कहना है मेहनत करके हमेशा खुद के हक का खाना है।

इस वीडियो में दोनों भाई काफी उम्मीद के साथ लोगों को कहते हैं कि आप हमारी रेस्टोरेंट में आइए हम आपको यह आश्वासन देते हैं कि आपको लजीज और साफ-सफाई को ध्यान में रखते हुए खाना परोसा जाएगा।

पिता के जाने के बाद घर की दयनीय स्थिति को संभालने के लिए रेस्टोरेंट्स संभालते ही हैं साथ ही साथ इनका रेस्टोरेंट्स घर से 25 किलोमीटर दूर है और यह दोनों मिलकर रोज आवाजाही करते हैं।

पिता के जाने के बाद घर की दैनिक स्थितियों को संभालने के लिए जिस प्रकार इन दोनों भाइयों ने कदम उठाया है यह काफी सरहनीय है। इनकी कड़ी मेहनत और लगन को देखते हुए कई लोगों ने इन्हें और इनके जज्बे को सलाम किया है।

 

लेखिका : अमरजीत कौर

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