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नहीं मिली नौकरी तो शुरू कर दी जैविक हल्दी की खेती, अब कई देशों तक पहुंचा रहे हैं अपना उत्पाद

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यदविंदर सिंह पंजाब के चोगावान साधपुर गांव रहने वाले हैं और हल्दी की खेती करते हैं। आज इनके द्वारा तैयार किया गया उत्पाद ना केवल भारत में बल्कि अन्य देशों में जैसे अमेरिका कनाडा, ऑस्ट्रेलिया तक निर्यात हो रहा है। आइए जानते हैं इस किसान की प्रेरक कहानी।

यदविंदर सिंह मूल रूप से अमृतसर से 20 किलोमीटर दूर बसे चोगावान साधपुर गांव के निवासी हैं। यदविंदर सिंह के पिताजी करमजीत सिंह पंजाब मैं शिक्षा विभाग में नौकरी करते हैं, उनके पिताजी का खेती की ओर काफी लगाव था और यही कारण उनका पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में आना जाना लगा रहता था।

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यदविंदर सिंह कहते हैं कि पंजाब विश्वविद्यालय में हमेशा ही किसान मेला लगता है और अक्सर हर साल वह अपने पिताजी के साथ इस मेले में अवश्य जाते हैं, पिता के खेती से खास लगाव को देखकर बेटे यदविंदर को भी खेती से खास जुड़ाव हो गया था।

हालांकि यदविंदर कहते हैं कि बड़े होने के बाद मैंने कई डिग्रियां हासिल की और सरकारी नौकरी के लिए कई प्रयास किए परंतु मुझे कोई भी नौकरी नहीं मिल पाई , जब चारों तरफ से सारी उम्मीद की किरणें लुप्त हो गई थी तब मैंने खेती  की राह को अपना लिया, आज इन्होंने खेती में 14 वर्ष की परिश्रम से पूरे क्षेत्र में अपना नाम बना लिया है।

अपने इस सफर के बारे में बताते हुए यदविंदर कहते हैं कि मेरे पास कंप्यूटर मेंटेनेंस, बीएड, मास्टर्स ऑफ मैथमेटिक्स जैसी कई डिग्रियां हासिल करके मैंने रखी हुई है, वह कहते हैं कि मैंने कई सालों तक एक सरकारी नौकरी पाने के लिए लगातार प्रयास किया परंतु किसी भी प्रकार की उम्मीद ना नजर आने पर वर्ष 2008 में खेती करना शुरू कर दी।

यदविंदर कहते हैं कि जिस प्रकार  किसी भी नौकरी में मेरा नाम नहीं निकल रहा था मैंने यह मन बना लिया था कि अगर नौकरी नहीं मिली तो मैं खेती-बाड़ी कोई अपना करियर बना लूंगा , यदविंदर‌ खेती में कुछ नए प्रयोग करना चाहते थे उनका माना ऐसा था कि अगर किसान इमानदारी से खेती के प्रति मेहनत करे नई तकनीकों को अपनाते हुए काम करे तो फायदा और मुनाफा काफी आसानी से प्राप्त कर सकता है।

यदविंदर के पास फिलहाल 8 एकड़ जमीन है और वह उस जमीन में परंपरागत खेती को छोड़कर केवल जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं, यदविंदर 8 एकड़ जमीन पर हल्दी की जैविक रूप से खेती करते हैं और इसका अचार और पाउडर भी तैयार करके निर्यात करते हैं।

इन्होंने अपने द्वारा तैयार किए गए उत्पाद को बेचने के लिए अपने खेतों में ही ‘माझा फूड्स’  ( Majha foods  )  नाम से एक आउटलेट की शुरुआत की है वैसे तो इनका आउटलेट काफी छोटा है परंतु इनका दायरा पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों के अलावा बहार के कई देश जैसे अमेरिका, इटली, कनाडा, आस्ट्रेलिया भी सम्मिलित है।

Turmeric Farming Business के तरफ ही क्यों दिखाई अधिक रूचि :-

यदविंदर के पिता अपनी नौकरी के साथ-साथ खेती भी करते थे, उसके बाद वर्ष 2018 में जब यदविंदर ने पिता के सामने खेती करने की इच्छा जताई तो पिता ने खुश होकर उसे एक अच्छा सुझाव दिया और कहा अगर खेती-बाड़ी में मुनाफा प्राप्त करना है तो चावल धान की खेती छोड़कर कुछ अलग करने का प्रयत्न करना होगा।

यही वक्त था जब यदविंदर ने अपना पूरा ध्यान खेती पर लगा दिया और खेती से जुड़ी सभी जानकारियों को इकट्ठा करने के लिए इंटरनेट पर अपनी रिसर्च शुरू कर दी। वह कहते हैं कि रिसर्च के दौरान ही पंजाब में किसान मेले के दौरान मुझे हल्दी की खेती के बारे में पता चला।

इस दौरान यदविंदर कहते हैं कि उस वक्त पंजाब में हल्दी पेशेवर के तौर पर खेती नहीं की जाती थी, वह कहते हैं कि भले ही हमें इसके बारे में पूर्ण जानकारी नहीं थी परंतु फिर भी हमने अपनी 3 एकड़ जमीन पर हल्दी की खेती शुरू कर दी।

यदविंदर कहते हैं कि हमारी पहली फसल काफी अच्छी हुई और उसे निर्यात करने में भी किसी प्रकार की कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ा, क्योंकि सभी हमारे उत्पाद को देखकर काफी प्रभावित हो रहे थे और हमारा सारा उत्पाद बीज के तौर पर ही बिक गया।

यदविंदर बताते हैं कि पहले वर्ष उन्होंने लागत के तौर पर 1.5 लाख रुपए लगाए थे और इस दौरान उनका मुनाफा 3 लाख हुआ था, इससे वह काफी अधिक प्रभावित हो गए थे और पहले वर्ष उन्होंने 3 एकड़ जमीन पर खेती की थी परंतु मुनाफे को देखते हुए उन्होंने 8 एकड़ जमीन पर खेती करनी शुरू कर दी, उनका यह फैसला उनके ऊपर काफी अधिक महंगा पड़ गया था।

यदविंदर कहते हैं कि दूसरी बार हमारी उपज और भी अधिक बेहतर हुई थी परंतु इससे निर्यात करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था उस वक्त हमें ऐसा लगा कि हमारा सारा उत्पाद इस प्रकार ही बर्बाद हो जाएगा।

परंतु उसी वक्त एक आईडिया मिला कि क्यों ना हम उत्पाद को प्रोसेसिंग करके कुछ ऐसा तैयार करें जिसमें रिस्क भी कम हो और खरीदी भी अधिक हो, और उन्होंने अपनी इसी सोच के तहत हल्दी प्रोसेसिंग यूनिट लगवाई और और पापड़ तैयार करके बेचना शुरू किया।

Turmeric Farming से इस प्रकार कमा रहे हैं Profit :-

फिलहाल तो यदविंदर 15-16 क्विंटल की उपज उत्पादित करते हैं और यह अपने उत्पाद का 95% वैल्यू एडिशन कर देते हैं जिससे कमाई 2 गुना अधिक होती है। यदविंदर कहते हैं प्रति

एकड़ खेतों में 1 लाख की लागत लगाते हैं परंतु अगर हम हल्दी को डायरेक्ट मंडी में बेचेगे तो केवल 1.5 लाख का मुनाफा हो पाएगा परंतु अगर वैल्यू एडिशन करके इसकी बिक्री करें तो मुनाफा दुगुना यानी कि 2 से 3 लाख आसानी से हो जाएगा।

इस दौरान वह कहते हैं कि हल्दी की खेती में सबसे अधिक परेशानी यह है कि 9 से 8 महीनों का इंतजार करना पड़ता है और इस बीच किसानों को थोड़ी बहुत पैसों की परेशानी हो सकती है।

इस दौरान वह बताते हैं कि इन परेशानियों को दूर करने के लिए वह बीच-बीच में मक्का और कई प्रकार के दलहन की खेती करते हैं, और यह करने से क्रॉप रोटेशन के द्वारा मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बनी रहती है।

आज इनके खेतों में उत्पादित उत्पाद ना केवल भारत देश में बल्कि अन्य कई देशों में निर्यात होता है इसके साथ ही साथ प्रोसेसिंग द्वारा तैयार की गई कई चीजें भी अधिक से अधिक निर्यात होती।

अंत में यदविंदर कहते हैं कि भले ही मैंने कई डिग्रियां हासिल की परंतु मुझे सरकारी नौकरी नहीं प्राप्त हो सके फिर मैंने खेती में ही अपना करियर बना लिया और आज खेती से मुझे काफी अच्छा मुनाफा मिल जाता है।

यादविंदर कहते हैं कि केवल सरकारी नौकरियों से ही मुनाफा नहीं कमाया जा सकता आज मैंने उन लोगों की यह सोच को बदल दिया है खेती अगर हम मेहनत करे तो उसे अपने करियर के रूप में समझ कर हम काफी अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते।

यदविंदर कहते हैं कि मैं आगे चल कर  ‘माझा फूड्स’ को एक ब्रांड के रूप में देखना चाहता हूं और मैं यह चाहता हूं कि आगे चलकर मेरा छोटा बेटा भी कृषि में अपना पूरा योगदान दें और आगे चलकर मेरे इस काम को एक नया नाम दे।

आज यदविंदर कृषि को महत्वपूर्णता देने की यह सोच काफी प्रेरक है क्योंकि कई लोगों का ऐसा मानना होता है कि केवल नौकरी करना और सरकारी नौकरी प्राप्त करना ही सब कुछ होता है परंतु अगर देखा जाए तो कृषि में भी करियर बनाया जा सकता है।

 

लेखिका : अमरजीत कौर

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