जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि ‘प्रभावती वेलफेयर एंड एजुकेशन ट्रस्ट’ के ज़रिए पंढरपुर (बनारस) के रहने वाले मनोज यादव 15 से अधिक गांव में जा जाकर गरीब बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं ।
अनुमान के अनुसार वह लगभग 500 बच्चों को मुफ्त शिक्षा देते हैं, आइए जानते हैं कि किस प्रकार मनोज कुमार को मिली इस काम को शुरू करने की प्रेरणा ।
जैसे कि हम सभी जानते हैं कि हमारे भारत देश में आजकल हर गांव एवं शहरों की थोड़ी थोड़ी दूरी पर सरकारी स्कूल है जो बच्चों को मुफ्त में शिक्षा और मुफ्त खाना यानी कि मिड-डे-मील देते हैं ।
परंतु इसके बावजूद झुग्गी बस्तियों में रहने वाले कई बच्चे आज भी स्कूल नहीं जा पाते हैं इसका महत्वपूर्ण कारण है जागरूकता, आज भी बस्तियों में शिक्षा के प्रति जागरूकता की काफी कमी है, बस्तियों में रहने वाले बच्चों के माता-पिता को इस बात का अंदाजा भी नहीं रहता है कि उनके बच्चों की जिंदगी में रोशनी केवल शिक्षा का दीया ही ला सकता है ।
ऐसे में यहां रहने वाले बच्चों को किसी ऐसे इंसान की आवश्यकता है जो उन्हें शिक्षा का सही महत्व बता सके और नए रास्ते दिखा सके , एवं इसी प्रकार के शख्स हैं ‘ पंढरपुर (बनारस) के रहने वाले मनोज यादव।
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि 31 वर्षीय मनोज यादव लगभग 15 सालों से बस्तियों में जाकर वहां रहने वाले बच्चों और उनके माता-पिता को शिक्षा के प्रति जागरुक करने का और उन्हें नई रोशनी दिखाने का प्रयत्न कर रहे हैं ।
केवल इतना ही नहीं मनोज यादव अपनी पूरी ताकत लगाकर एवं इन बच्चों में शिक्षा के प्रति प्रोत्साहन बढ़ाकर 15 गांव के लगभग 500 बच्चों को शिक्षा के साथ जोड़ने एवं स्कूल जाने के लिए प्रेरित करने का पूर्ण प्रयास कर रहे हैं ।
मनोज यादव इस काम के लिए एक संस्था भी चलाते हैं साथ ही साथ उनके 6 सदस्य भी है जो मिलकर अलग-अलग गांव में जाकर बच्चों को शिक्षा देते हैं और उन्हें नियमित स्कूल जाने के लिए प्रेरित करते हैं ।
बातचीत के दौरान मनोज यादव कहते हैं कि मैंने अपने बचपन में शिक्षा का कई अभाव महसूस किया है अगर मुझे भी एक राह दिखाने वाला कोई व्यक्ति होता तो आज मैं महत्वपूर्ण रूप से शिक्षा प्रदान कर के एक अफसर बन गया होता परंतु मेरे जीवन में शिक्षा के अभाव नहीं मुझे दूसरे बच्चों की शिक्षा में मदद करने के लिए प्रेरित किया है ।
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देने वाले मनोज यादव एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं , मनोज बताते हैं कि जब वह आठवीं में पढ़ते थे तब उनकी माता स्कूल में मिड-डे मील बनाने का कार्य करती थी ।
इससे पहले उनके माता-पिता ही मजदूरी करके घर का खर्च चलाते थे , मनोज को बचपन से ही पढ़ाई में काफी अधिक रूचि थी परंतु पैसों के अभाव के कारण वह उच्च स्तर पर शिक्षा हासिल नहीं कर पाए , परंतु इसके बावजूद मनोज ने अपनी मेहनत और लगन के दम पर बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स के विषय में b.a. की पढ़ाई की है ।
मनोज कहते हैं कि वह अपनी बीए की डिग्री हासिल करने के बाद यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करना चाहते थे परंतु इस दौरान ही उनके पिता का एक्सीडेंट हो गया और घर में खाने तक के पैसे नहीं थे इस परेशानी में वह अपनी पढ़ाई के पैसे कहां से निकालते इसलिए उन्होंने पढ़ाई छोड़ कर काम शुरू कर दिया ।
गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देकर आईएएस बनने के लिए प्रेरित करते हैं मनोज यादव
मनोज का कहना है कि जब उन्होंने गांव में जाकर बच्चों को शिक्षा देनी शुरू की तब तो बहुत कम बचे थे परंतु धीरे-धीरे बच्चों की संख्या बढ़ती गई इस दौरान उन्हें थोड़ी दिक्कत महसूस हुई परंतु धीरे-धीरे उनके साथ कई पढ़े-लिखे लोग भी जुड़ने लगे ।
मनोज बताते हैं कि इसके बाद उन्होंने अपनी माता के नाम पर एक संस्था शुरू की ताकि अन्य लोग भी बच्चों की शिक्षा में मदद कर पाए ।
मनोज का काम कुछ बच्चों से केवल एक गांव में ही शुरू हुआ था परंतु देखते-देखते उनका यह काम 5 गांव के कई बच्चों में तब्दील हो गया , और इसके बाद ही मनोज के मन के अंदर गरीब बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनाने की एक ललक से जागरूक हो गई , आज मनोज अपने मुफ्त शिक्षा के तहत 15 गांव के 500 बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं ।
मनोज का कहना है की अगर इस मुफ्त शिक्षा से 10-15 बच्चे आईएएस अफसर बन जाए तो यही मेरी असली कमाई होगी
मनोज का कहना है कि हम तो अपनी मुफ्त शिक्षा से बच्चों को पूरा तरह से प्रेरित करने की कोशिश करते हैं परंतु जब समय बीतता गया था बच्चों के अंदर शिक्षा का महत्व जागरूक हो गया और बच्चों जब मुझे आकर बताते हैं कि इतने अंक हासिल किए तो यह सब सुनकर काफी खुशी होती है।
मनोज यादव कहते हैं कि मुफ्त शिक्षा हासिल करने के बाद बच्चों में ऐसी प्रेरणा आई , इस दौरान ही 1 गांव की एक लड़की ने बीए की पढ़ाई पूरी करके बीए की डिग्री हासिल कर ली है और यह उस गांव की पहली महिला है जिसने बीए की पढ़ाई की है यह महिला है माया कुमारी जो अब हमारे साथ मिलकर बच्चों को शिक्षा देने में हमारा साथ दे रही है।
मनोज यादव का प्रयत्न कई गरीब बच्चों के भविष्य को उज्जवल कर रहा है अंत में मनोज कहते हैं कि मैं भले ही बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देकर किसी कमाई का तरीका नहीं ढूंढता हूं मेरा ऐसा मानना है कि अगर इनमें से 10-15 बच्चे आईएएस अफसर बन जाए तो यही मेरी असली कमाई होगी।