ADVERTISEMENT

एक ऐसे शिक्षक की कहानी जिसने पूरे 13 वर्ष तक नहीं ली एक भी छुट्टी

S Sarasu teacher ki kahani
ADVERTISEMENT

आज हम आपको अपनी कहानी में एक ऐसे शिक्षक के बारे में बताएंगे जो अन्य अध्यापकों और बच्चों के लिए मिसाल बन गयी हैं , एक ऐसे अध्यापक जिन्होंने अपने शिक्षक के कार्य को इतनी शिद्दत से निभाया कि 13 वर्ष तक उन्होंने नहीं ली एक भी छुट्टियां ,आइए जानते हैं इस शिक्षक की पूरी कहानी ।

आज हम इस कहानी में आपको एक बात कहेंगे जैसे कि हम सभी जानते हैं कि सबका ऐसा मानना है कि एक चिराग अंधेरे को रोशनी में तब्दील कर सकता है परंतु ऐसा नहीं होता है एक चिराग अंधेरे से लड़ने के लिए हमें हौसला अवश्य दे सकता है ।

ADVERTISEMENT

आज हम अपनी कहानी में ऐसे ही एक शिक्षक एस सरसु के बारे में बात करेंगे , जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि 47 वर्ष की एस सरसु तमिलनाडु में एक सरकारी टीचर है।

एक सरकारी टीचर होने के बावजूद इन्होंने अपने शिक्षक के करियर में 1 दिन भी छुट्टी नहीं ली पूरे 13 साल तक इन्होंने लगातार अपने शिक्षक होने की ड्यूटी दिए जिससे स्कूल को तो कुछ खास फर्क नहीं पड़ेगा परंतु वह सभी बच्चों के लिए उदाहरण बनना चाहती है , और बन भी रही हैं ।

ADVERTISEMENT

वर्ष 2004 से टीचर की नौकरी कर रही है एस सरसु

एस सरसु ना केवल बच्चों के लिए बल्कि वर्तमान में सभी शिक्षकों के लिए भी एक मिसाल बनकर सामने आई है , जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि एस सरसु मूल रूप से  विल्लुपुरम के पास सुंदरीपलयम  गांव की रहने वाली है ।

अपनी शिक्षक की ड्यूटी को शिद्दत से निभाते हुए रोज समय पर बच्चों को पढ़ाने पहुंच जाती हैं ,एस सरसु वर्ष 2004 से स्कूल में बताओ टीचर कार्य कर रही है स्कूल में और भी टीचर जो कार्य करते हैं उनका ऐसा कहना है कि एस सरसु एकदम समय पर स्कूल बच्चों को पढ़ाने पहुंच जाती है और सबसे देर से घर जाती है।

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि एस सरसु ने उनके पूरे 18 वर्ष के करियर में एक भी मेडिकल लीव नहीं ली है , इसके अलावा एस सरसु ने 13 साल में एक भी छुट्टी नहीं ली है , क्योंकि वह अपने छात्रों के लिए एक मिसाल बनना चाहती है और साथ ही साथ शिक्षकों को एक नए शिक्षक का रूप भी दिखाना चाहती हैं ।

उन्हें देखकर बच्चों ने भी छुट्टी लेना काफी कम कर दिया है :-

एस सरसु ऐसा कहना है कि स्कूल के समय से पहले या फिर बाद में वह अपना निजी सारा काम पूरा कर लेती है वह बताती है कि जिस प्रकार मैंने अपने करियर में बच्चों को काफी अधिक छुट्टियां लेते देखा है।

इस दौरान मैंने अपने करियर में एक भी मेडिकल लीव या फिर छुट्टी नहीं ली इस दौरान मेरे रोजाना बच्चों को पढ़ाने से बच्चों पर प्रभाव पड़ा है और बच्चों ने भी छुट्टियां लेनी कम कर दी हैं बच्चे मन लगाकर पढ़ते हैं और यही भावना उनके अंदर लाने के लिए मैंने अपने पूरे करियर में छुट्टी नहीं ली ।

एस सरसु के शिक्षक के करियर में उनका इस बलिदान को लेकर तमिलनाडु सरकार द्वारा उन्हें सर्वश्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार सम्मानित किया गया है इसके साथ ही साथ कई संगठनों ने भी उन्हें सर्वश्रेष्ठ शिक्षक के रूप में सम्मानित किया है , अभी तक वह अपने शिक्षक के करियर में लगभग 50 से अधिक पुरस्कार हासिल कर चुकी है ।

एस सरसु बताती है कि मेरे टीचर के करियर में मैंने रिश्तेदारों से कई नाराजगी का सामना किया है वह कहती है कि मेरी छुट्टी ला लेने की आदत मेरे रिश्तेदारों को बिल्कुल पसंद नहीं थी क्योंकि छुट्टी ना लेने की वजह से मैं किसी भी प्रोग्राम के लिए बाहर नहीं जा पाती थी , परंतु थोड़ा समय लेकर ही सही परंतु धीरे-धीरे सभी रिश्तेदारों ने मेरी नीति को समझा मुझे समझा और आज मैं इस मुकाम पर खुशी खुशी कार्य कर रही हूं ।

लेखिका : अमरजीत कौर

यह भी पढ़ें :

ब्रेन ट्यूमर और कैंसर होने के बावजूद भी नहीं मानी हार , आज टिफिन सर्विस चला कर कर रहे हैं परिवार का भरण पोषण

ADVERTISEMENT

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *