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6 लाख निवेश करके शुरू की थी कंपनी आज है 20 करोड़ से भी ज्यादा का सालाना टर्नओवर

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कोरोनावायरस महामारी के चलते लॉक डाउन में भारतीय अर्थव्यवस्था ठप पड़ गई। दुनिया भर की अर्थव्यवस्था इस महामारी से प्रभावित हुई।

लेकिन दवा बनाने वाली कंपनियों के बीच वैक्सीन बनाने को लेकर एक नई दौड़ की शुरुआत हुई और यही वजह है कि भारत में फार्मा उद्योग में इस महामारी के दौरान भी गिरावट नही हुई।

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आईबीएफ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत वैश्विक स्तर पर जेनेरिक दवाओं को उत्पादित करने वाला सबसे बड़ा देश है।

विभिन्न दवाओं की मांग की पूर्ति में भारत 50% की हिस्सेदारी रखता है। वित्त वर्ष 2020 में भारत में फार्मास्युटिकल्स का निर्यात करीब 20.70 बिलियन डॉलर था जिसे साल 2025 तक 100 बिलियन डालर हो जाने की पूरी संभावना जताई जा रही है।

पिछले कुछ दशकों की अगर बात करें तो फार्मा सेक्टर और कंपनियों का प्रसार तेजी से बढ़ा है। ऐसे ही एक शख्स ने भी इस क्षेत्र में निवेश किया।

दिल्ली के Mayank Garg ने साल 2006 में दिल्ली में फार्मा रिटेलिंग कंपनी Sanjivani की स्थापना की थी। उनका कहना है कि फार्मास्युटिकल्स कभी न ठहरने वाला व्यवसाय है क्योंकि हमेशा लोगों को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्या के हल की तलाश रहती है।

कोरोना वायरस महामारी के दौर में फार्मा क्षेत्र को बढ़ावा मिला है और इसमें विकास के अन्य बहुत सारे अवसर सामने आए है। Sanjivani का सफर दिल्ली और गुरुग्राम के बीच महरौली में स्थित एक छोटे से स्टोर में शुरू हुआ था।

ऑफलाइन और फ्रेंचाइजी मॉडल का उपयोग करते हुए उन्होंने देश भर से 72 से भी अधिक फॉर्मेसियों में 12000 स्टॉक कीपिंग यूनिट की पेशकश करके आज यह कंपनी 20 करोड़ से भी ज्यादा का सालाना कारोबार करती है। यह मूल कंपनी एनबी मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड का भी समर्थन करती है।

इस तरह हुई शुरुआत :-

Mayank Garg सेनेटरी वेयर उत्पादों के वितरण के अपने पारिवारिक व्यवसाय से जुड़े हुए थे, लेकिन साल 2007 तक उन्होंने भारतीय फार्मा क्षेत्र में कुछ अंतराल देखा।

उन्होंने इस तरफ ध्यान अपने दादा दादी की दवाइयां खरीदते दिया। तब उन्हें एहसास हुआ कि यह उद्योग अन्य दूसरे उद्योग की तुलना में बेहद संगठित है, लेकिन ग्राहकों के लिए अनुभव नही था।

 

Mayank Garg ने देखा कि अधिकांश फार्मेसी सही तरीके से नही चल रही है और ज्यादातर सेल्स मैन आलसी हैं या फिर चुस्त नही है।

तब उन्होंने अपना पहला स्टोर 6 लाख के निवेश के साथ शुरू किया और फैसला किया कि वह इसे बदल के रहेंगे।

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महरौली के फार्मेसी में उन्होंने कंप्यूटरीकरण और वातानुकूलन का भी ध्यान दिया। सभी लेनदेन के लिए उन्होंने डिजिटल एकाउंटिंग और कंपनी की यूएसपी पर ध्यान दिया।

इससे इसका संचालन तो सहज बना है बल्कि इससे प्रबंधन भी आसान बन गया। अन्य चीजों के बारे में नियंत्रण करने में भी मदद मिली।

Mayank Garg बताते हैं कि शुरू में बहुत कम ग्राहक उनके पास आते थे लेकिन आज 50 हाजर से भी ज्यादा ग्राहक उनके पास आते है।

वह अपनी दुकान को संडे को भी नही बंद करते है जिससे कि दवा की जरूरतों को वह हर समय ग्राहकों को उपलब्ध करा सके।

Mayank Garg का लक्ष्य कंपनी का निर्माण ही नही था बल्कि एक सेवक प्रदाता के रूप में भी काम करना था। आज वह देश के आपूर्ति के लिए विक्रेताओं उसके साथ समझौता भी किए है।

 

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